भारत विभाजन की गुनाहगार हिंदु महासभा, मुस्लिम लीग थी : कांग्रेस
हिन्दू महासभा के 1937 के अधिवेशन में सावरकर ने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की थ्योरी दी थी
रायपुर/14 अगस्त 2023। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विभाजन की विभीषिका कार्यक्रम भाजपा का अपने पूर्वजों के गुनाह पर से पर्दा डालने के लिये है भारत विभाजन के गुनहागार हिंदु महासभा, आरएसएस और मुस्लिमलीग जैसी साम्प्रदायिक ताकते अंग्रेजो की फूट डालो राज करो नीति में सहयोग करती रही। भाजपा अपने पूर्वजों के गुनाहों को महात्मा गांधी और पंडित नेहरू पर मढ़ने की शुरू से साजिश करती रही है। अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति में सहयोगी की भूमिका निभाने वाले मुस्लिमलीग के साथ हिन्दु महासभा और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के गठजोड़ ने आजादी की लड़ाई में गांधी जी के आंदोलन का भी विरोध किया था। 1947 के भारत पाक विभाजन के लिये पं. जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने वाले संघी इतिहास पढ़ ले तो पता चल जायेगा विभाजन के असली जिम्मेदार आरएसएस और उनके पूरखे हिन्दू महासभा के नेता थे। 1937 में हिन्दु महासभा के उन्नीसवें अधिवेशन में अहमदाबाद में बोलते हुये सावरकर ने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की थ्योरी का खुला समर्थन करते हुये कहा था कि भारत में विरोधाभाषी दो राष्ट्र साथ-साथ रह रहे है। भारत को एक मिलाजुला राष्ट्र नही माना जा सकता, बल्कि इसके विपरीत भारत में हिन्दु और मुस्लिमों के रूप में दो देश बसे है। 15 अगस्त 1947 को संवाददाता सम्मेलन में सावरकर ने जिन्ना के द्वि-राष्ट्र के सिद्धांत का खुला समर्थन करते हुये कहा था कि ”मुस्लिम लीग के अध्यक्ष जिन्नाह के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत से मेरा कोई झगड़ा नहीं है। हम हिन्दू लोग अपने आप में एक राष्ट्र है और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिन्दू और मुस्लमान दो राष्ट्र है।” 1942 के अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन का भी आरएसएस और हिन्दू महासभा ने जमकर विरोध किया था और अंग्रेजो द्वारा बनाई गयी रक्षा समिति में शामिल होकर मुखबिरी की एवं और स्वंतत्रता संग्राम को कुचलने में भागीदार भी बने। आजादी के पूर्व अंतरिम सरकार में मुस्लिमलीग के साथ मिलकर आरएसएस और हिन्दु महासभा ने कई राज्यों में सरकार भी बनाई। मुस्लिम लीग और आरएसएस दोनो की विचारधारा सम्मान है और देश के विभाजन के लिये दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा और आरएसएस की राजनीति नफरत और भेदभाव पर आधारित रही है। कांग्रेस द्वारा 26 जनवरी 1930 में पूर्ण स्वराज दिवस मनाने का आह्वान किया गया तब आरएसएस ने सभी शाखाओं को आदेश दिया की वे तिरंगा न फहराये। 14 अगस्त 1947 को भी आरएसएस ने तिरंगे को अपसगुन, बुरा, और घातक कहा था जो आरएसएस के अंग्रेजी पत्र आर्गनाइजर में भी प्रकाशित हुआ था।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि संघी और भाजपाई कुछ भी कह लें, कितनी भी दलीलें दे लें, इतिहास को तोड़मरोड़ कर अपनी सुविधा अनुसार कैसी भी व्याख्या कर लें, संघ और भाजपा का इतिहास दरिद्र था और दरिद्र ही रहेगा। उनके पूर्वज भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गुनाहगार है। अपने दरिद्र इतिहास को छुपाने की भाजपा की कुचेष्टा कभी सफल नहीं होगी।